परिसंवाद
सार्थक चेतनाका लागि परिसंवाद
परिसंवाद
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Kaushik
पर्दा उघार्न आओ
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नशालु ती आँखा
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बल्झिएर रोएँ !
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साम्यवादको नक्कली रटान
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पश्चाताप
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जीवन
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धुन्धुकारी
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वामपन्थी–हामपन्थी !
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सन्यासी झैं
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नदी
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